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बुधवार, 26 सितंबर 2012

व्यंग्य पेज



आप लोग समझ ही गए होंगे कि किस तरह "लालटेन" की रौशनी में,"घड़ी" से समय मिलाकर,"हाथियों" द्वारा उसे ढो कर,"नल" के पानी से "हाथ" धो कर कोयला चोर "साईकल" से भाग जाता है !

और जनता को 'कमल' सुंघाकर मदहोश भी कर देते है ताकि असली चेहरे का पता ना चले ।

साभार : व्यंग्य पेज (फेसबुक चौपाल)
सभी सामग्री इंटरनेट से ली गई है

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

शिव का धनुष

विद्यालय में आ गए इंस्पेक्टर स्कूल,

छठी क्लास में पढ़ रहा विद्यार्थी हरफूल,

विद्यार्थी हरफूल, प्रश्न उससे कर बैठे,

किसने तोड़ा शिव का धनुष बताओ बेटे,

छात्र सिटपिटा गया बिचारा, धीरज छोड़ा,

हाथ जोड़कर बोला, सर, मैंने ना तोड़ा…



यह उत्तर सुन आ गया, सर के सर को ताव,

फौरन बुलवाए गए हेड्डमास्टर साब,

हेड्डमास्टर साब, पढ़ाते हो क्या इनको,

किसने तोड़ा धनुष नहीं मालूम है जिनको,

हेडमास्टर भन्नाया, फिर तोड़ा किसने,

झूठ बोलता है, जरूर तोड़ा है इसने…



इंस्पेक्टर अब क्या कहे, मन ही मन मुसकात,

ऑफिस में आकर हुई, मैनेजर से बात,

मैनेजर से बात, छात्र में जितनी भी है,

उसमें दुगुनी बुद्धि हेडमास्टर जी की है,

मैनेजर बोला, जी, हम चन्दा कर लेंगे,

नया धनुष उससे भी अच्छा बनवा देंगे…



शिक्षा-मंत्री तक गए जब उनके जज़बात,

माननीय गदगद हुए, बहुत खुशी की बात,

बहुत खुशी की बात, धन्य हैं ऐसे बच्चे,

अध्यापक, मैनेजर भी हैं कितने सच्चे,

कह दो उनसे, चन्दा कुछ ज्यादा कर लेना,

जो बैलेन्स बचे वह हमको भिजवा देना…

सोमवार, 18 जून 2012

नेता बनाम आम आदमी


नेता!
एक ऐसा शब्द जिसके सामने आते ही बस हर कोई अपनी भड़ास निकलने की जी तोड़ कोशिश करता है! बिक गए हैं नेता! भ्रष्ट हो गए हैं नेता! गरीबी, भूख-मरी, बाढ़… जिम्मेदार यही नेता हो हैं! अरे साहब इन्हें तो लाइन से खड़ा कर के गोली मार देनी चाहिए! इस देश की जो हालत हुई है उसके लिए यही प्रजाति तो जिम्मेदार है…………… पर सवाल ये है की इस प्रजाति में ऐसा अलग क्या है जो बाकि हिन्दुस्तानियों में नहीं है ………. या यूँ कहें की आम आदमी में नहीं है ?
हाँ ये सवाल थोडा टेढ़ा हो गया….. अच्छा ठीक है सवाल ऐसे करते हैं …… आम आदमी किस तबके से आता है ??? ऊपर से चलें या नीचे से ??? अच्छा बीच से कहीं से उठाते हैं …… बाबु … ये शब्द तो बहुत ऊँचे लोगो के लिए तो नहीं है न ………. कितने प्रतिशत बाबु आप का काम बिना रिश्वत लिए कर देते हैं ??? या कितने प्रतिशत जूनियर इंजीनियर (J.E.) भ्रष्ट नहीं है ??? शिक्षक ……… समाज का सबसे प्रबुद्ध वर्ग….. कितने प्रतिशत शिक्षक अपना कार्य कर्त्तव्य परायणता के साथ करते हैं ………. क्या ये भारत की आम जनता नहीं है ???
और आगे चलते हैं ……..
सरकार तो कुछ काम ही नहीं करती …… अब भाई सरकार क्या करे ?? योजना ही तो चला सकती है पर वो आम आदमी के नाम पर कमाने का साधन मात्र है… यही ना ?? अब सरकार ने गरीब बच्चों के लिए एक पहल की – ‘मिड-डे मिल’ ! शायद आप में से कुछ लोगो ने नाम भी सुना होगा …. होता क्या है या तो जो बनता है वो खाने लायक नहीं रहता या फिर ऊपर वाले (ये बहुत ऊपर वाले नहीं है आम आदमी में से हैं ) लोग खा के ख़तम कर देतें है . अब सरकार क्या करे … वो तो आम आदमी का कुछ भला करना चाहती भी है तो आम आदमी आदमी एक दुसरे का हक मरने पे तुला हुआ है और दोष तो सरकार को ही मिलना है…..
मेरे यहाँ यहीं बगल में नॉएडा स्टेडियम है पर उसमे जो कुछ भी लगाया जाता है लोग घुस के चुरा के ले जाते हैं और बेच देते हैं ……… अब स्पोर्ट्स में सुविधा कहाँ से आये …… या तो मैंदान बना के उसमे किसी को खेलने न दिया जाये तो सारी सुविधा रहेंगी या फिर आम आदमी सुधर जाये तो ………
शायद अभी भी मैं कुछ लोगों के ‘आम आदमी’ की व्याख्या नहीं कर पा रहा हूँ तो वो ऐसे कर देता हूँ : कोई भी १०० गरीब ग्राम चुना जाये उसमे से यद्रिछ्या (at random) १०० लोगो(हर गावं से कोई भी एक आदमी) को चुना जाये और हर इन सभी को १-१ लाख रुपये दे दिए जायें की आप अपने गाँव के गरीबों में बाट दीजियेगा………. जितने प्रतिशत रुपया सही और जरुरत मंद लोग (वो देने वाले का रिश्तेदार ना हो, गरीब हो) को मिल पाए बस उतने प्रतिशत भारतीय भ्रष्ट नहीं हैं! और बाकि आप समझ ही गए होंगे की इसकी क्या सम्भावना है ……………..
सच्चाई ये भी है की यहाँ इमानदार को बेवकूफ भी समझा जाता है … मैं किसी और का क्या उदाहरण दूं मैं अपना हे देता हूँ ! मैं ट्रेन में सफ़र कर रहा था और मेरे टिकट न मिल पाने की वजह से मैं सामान्य श्रेणी का टिकट लेके और शयनयान में बैठ गया टीटी आया तो मैंने उसे टिकट बनाने को कहा ये जानते हुए भी की इतनी भरी ट्रेन में सीट नहीं मिल पायेगी और २५० रूपये अतिरिक्त भी देने होंगे पर चुकी नियम यही है इसलिए टीटी को १०० रूपये पकड़ाने की जगह मैंने ये रास्ता चुना ….. आम आदमी मेरे अगल बगल मुझे ये समझा रहे थे की आप को सीट भी नहीं मिलेगी …… यानि की रिश्वत देके काम चलाओ …….. और ऐसा नहीं करने के कारन मैं उनकी नज़रों में एक ईमानदार नहीं मुर्ख व्यक्ति ही था और हूँ ……….
साहब यही हालत और हालात हैं नेता के पास भ्रष्ट होने के ज्यादा तरीके हैं इसलिए वो ज्यादा भ्रष्ट हैं ! जिस भी आम आदमी के पास वो तरीका आएगा वो ही भ्रष्ट हो जायेगा अपवाद तो अब भी हैं तब भी रहेंगे! जिसे मैका नहीं मिलेगा वो गली देगा!
मानो या न मानो आम आदमी ज्यादा भ्रष्ट है! ये नेता भी इन्ही में से एक है जो अब खास हो गया है! जिस दिन मेरे देश का आम आदमी सुधर जायेगा उस दिन इस देश में भ्रस्टाचार फ़ैलाने वाले नहीं रह पाएंगे!
नोट: यहाँ मेरा मकसद भारतीयों को भ्रष्ट कहना नहीं है बल्कि ये कहना है की अपनी सरकार को हर बात पे कोसने के पहले हमे सोचना चाहिए की हम क्या कर रहे हैं !
ये लोकतंत्र भी हमारा है इसे गाली देना देश का अपमान ही है बेहतर है की हम कुछ सार्थक करें!

मैं इमरान हाशमी बनना चाहता हूँ


पांचवी कक्षा की एक क्लास मे मास्टर ने बच्चों से पूछा
बताओ क्या बनोगे, कैसे करोंगे अपने माँ-बाप का नाम ऊँचा
किसी ने IAS. किसी ने PCS. किसी ने कहा अच्छा आदमी बनाना चाहता हूँ
तभी पीछे की सीट से उठकर एक बच्चे ने कहा
Sir! मैं इमरान हाशमी बनना चाहता हूँ

ऐसे जवाब की ख्वाब मे भी नही की थी कभी कल्पना
पर Teacher को लगा शायद हो ये लडके का बचपना
समझाया की बेटा गलती की है तुने Career को चुनने मे
ये तो बता क्या प्रॉब्लम है तुझे और कुछ बनने मे ???

लड़का बोला Sir! जॉब मे अभी कहाँ इतना पैसा है
और Business करना मुझे लगता बेवकूफों जैसा है
नेता फस जाते हैं Akshar स्टिंग ऑपरेशन के जंजाल मे
खेल मे Zahar भर दिया मैच फिक्सिंग के बवाल ने
पर फ़िल्म इंडस्ट्री मे प्रोफिट की लाइन हमेशा ऊपर चढ़ती है
बढ़िया काम से Price-Value तो बुरे से Popularity बढ़ती है
और इस बात को तो ख़ुद कई बड़े फ़िल्म समीक्षक माने है
MMS Clips से भी ज्यादा बिकते इमरान के फिल्मो के गाने है

मै भी ऐसे गाने कर अपनी लाइफ बदलना चाहता हूँ
इसीलिए तो Sir! मैं इमरान हाशमी बनाना चाहता हूँ

हुंह!!!! आज कल के लडके जाने पढ़ते हैं किस किताब से
Teacher का भी सर चक्र गया बच्चे के इस जवाब से
Teacher ने फ़िर भी पूछा उसमे ऐसी क्या बात समाई है
ये तो बता अभिषेक बच्चन बनने मे क्या बुराई है ???

सिर्फ़ दो फिल्मो से इतना नाम नही कमाया अभिषेक के बाप ने
Murder किया लड़किया फ़िर भी कहती .Aashiq Banaya Aap Ne…
मल्लिका,तनुश्री, उदिता निपटी पिछली फिल्मों की साइन मे
सुनाने मे आया है की अब सेलिना हृषिता भी है लाइन मे

मै भी ऐसे टेस्टी CHOCOLATE का स्वाद चखाना चाहता हूँ
इसीलिए तो Sir मैं इमरान हाशमी बनाना चाहता हूँ

अब मास्टर का गुस्सा पहुच गया सातवे आसमान पे
बोले.. सिवाय लड़किया घुमाने के क्या किया इमरान ने ??
Sir! लड़कियों को पीछे घुमाना कोई आसान काम नही
वरना बड़े Powerful लोगो का होता ये अंजाम नहीं

क्या नही जानते आप America के पूर्व राष्ट्रपति को ??
कैसे प्राप्त हुए मोनिका के चक्कर मे .वीरगति को
बदल गया कप्तान देश का सौरभ-नग्मा के टक्कर मे
Cricket खेलना भूल गया वो .नए खेल के चक्कर मे
मेरी इतनी बातों का मतलब बिलकुल सीधा-साफ है
काबिलियेत मे भी इमरान हाशमी. बिल क्लिंटन का बाप है

मैं भी एक Demanded और काबिल आदमी बनाना चाहता हूँ
इसीलिए तो Sir! मैं इमरान हाशमी बनाना चाहता हूँ

मंगलवार, 12 जून 2012

मिडिल क्लास की यंत्रणा


गर्मी इस बार कुछ ज्यादा ही पड़ गई,
वर्मा जी भी हो गए परेशान,
कुछ पसीने से,
कुछ बीबी-बच्चों के तानों से,
बेंक ने लोन दे दिया,
घर में एसी लगवा लिया,
खूब ठंडी हवा खाई,
कोलोनी में बिना एसी वालों को देखते,
तब मन ही मन कहते,
'उफ़ यह मिडिल क्लास वाले',
फिर आया विजली का बिल,
एसी की ठंडी हवा में पसीने आ गए,
लोन की किश्त भरें,
या विजली का बिल दें?
डराबने सपने आने लगे,
कभी विजली कट जाए,
कभी बेंक के गुंडे आ जाएँ,
खुद ही एसी वापस कर आये,
पसीना वर्दाश्त कर लेंगे,
लोन पर एसी लेकर,
मिडिल से अपर क्लास नहीं हो जाता कोई.

एहसान फरामोश आम आदमी



            आम आदमी

बेशर्म आम आदमी,
हर समय शिकायत करता है, 
सरकार ने यह नहीं किया,
सरकार ने वह नहीं किया,
बेबकूफ यह भी नहीं जानता,
सरकार आम आदमी से बनती है,
आम आदमी से चलती नहीं,
सरकार बनाने की कीमत दी थी तुझे,
दारू, मुर्गा, कम्बल और ढेर आश्वासन,
साला सब भूल गया,
एहसान फरामोश कहीं का,
कितनी दरियादिल है सरकार,
हर पांच साल बाद आती है,
और बांटती है दारू, मुर्गा, कम्बल,
पुराने और नए-नए आश्वासन, 
पर बेशर्म आम आदमी,
करता रहता है हर समय शिकायत.