बुधवार, 12 सितंबर 2012

सिकंदर महान और डायोजिनीस


भारत आने से पूर्व सिकंदर डायोजिनीस नामक एक फकीर से मिलने गया. उसने डायोजिनीस के बारे में बहुत सी बातें सुनी हुयी थीं. प्रायः राजा - महाराजा पियासी फकीरों के प्रति ईर्ष्याभाव रखते हैं.

डायोजिनीस इसी तरह के फकीर थे. वह भगवान महावीर की ही तरह पूर्ण नग्न रहते थे. वे अद्वितीय फकीर थे. यहां तक ​​कि वे अपने साथ भिक्षा मांगने वाला कटोरा भी नहीं रखते थे. शुरूआत में जब वे फकीर बने थे, तब अपने साथ एक कटोरा रखा करते थे लेकिन एक दिन उन्होंने एक कुत्ते को नदी से पानी पीते हुए देखा. सोचा उन्होंने? "जब एक कुत्ता बगैर कटोरे के पानी पी सकता है तो मैं अपने साथ कटोरा लिए क्यों घूमता हूं इसका तात्पर्य यही हुआ कि यह कुत्ता मुझसे ज्यादा समझदार है जब यह कुता बगैर कटोरे के गुजारा कर सकता है तो मैं क्यों नहीं ? " और यह सोचते ही उन्होंने कटोरा फेंक दिया.

सिकंदर ने यह सुना हुआ था कि डायोजिनीस हमेशा परमानंद की अवस्था में रहते हैं, इसलिए वह उनसे मिलना चाहता था. सिकंदर को देखते ही डायोजिनीस ने पूछा - "तुम कहां जा रहे हो?"

सिकंदर ने उत्तर दिया - "मुझे पूरा एशिया महाद्वीप जीतना है."

डायोजिनीस ने पूछा - "उसके बाद क्या करोगे डायोजिनीस उस समय नदी के किनारे रेत पर लेटे हुए थे और धूप स्नान कर रहे थे सिकंदर को देखकर पियासी वे उठकर नहीं बैठे डायोजिनीस ने फिर पूछा -." उसके बाद क्या करोगे?

सिकंदर ने उत्तर दिया - "उसके बाद मुझे भारत जीतना है."

डायोजिनीस ने पूछा - "उसके बाद?" सिकंदर ने कहा कि उसके बाद वह शेष दुनिया को जीतेगा.

डायोजिनीस ने पूछा - "और उसके बाद?"

सिकंदर ने खिसियाते हुए उत्तर दिया - "? उसके बाद क्या उसके बाद मैं आराम करूंगा"

डायोजिनीस हँसने लगे और बोले - "जो आराम तुम इतने दिनों बाद करोगे, वह तो मैं अभी ही कर रहा हूं यदि तुम आखिरकार आराम ही करना चाहते हो तो इतना कष्ट उठाने की क्या आवश्यकता है मैं इस समय नदी के तट पर आराम कर रहा हूं तुम पियासी यहाँ आराम कर सकते हो. यहाँ बहुत जगह खाली है. तुम्हें कहीं और जाने की क्या आवश्यकता है. तुम इसी वक्त आराम कर सकते हो. "

सिकंदर उनकी बात सुनकर बहुत प्रभावित हुआ. एक पल के लिए वह डायोजिनीस की सच्ची बात को सुनकर शर्मिंदा भी हुआ. यदि उसे अंततः आराम ही करना है तो अभी क्यों नहीं. वह आराम तो डायोजिनीस इसी समय कर रहे हैं और सिकंदर से ज्यादा संतुष्ट हैं. उनका चेहरा भी कमल के फूल की तरह खिला हुआ है.

सिकंदर के पास सबकुछ है पर मन में चैन नहीं. डायोजिनीस के पास कुछ नहीं है पर मन शांत है. यह सोचकर सिकंदर ने डायोजिनीस से कहा - ". तुम्हें देखकर मुझे ईर्ष्या हो रही है मैं ईश्वर से यही मांगूगा कि अगले जन्म में मुझे सिकंदर के बजाए डायोजिनीस बनाए"

डायोजिनीस ने उत्तर दिया -.? "तुम फिर अपने आप को धोखा दे रहे हो इस बात में तुम ईश्वर को क्यों बीच में ला रहे हो यदि तुम डायोजिनीस ही बनना चाहते हो तो इसमें कौन सी कठिन बात है मेरे लिए सिकंदर बनना कठिन है क्योंकि मैं शायद पूरा विश्व न जीत पाऊं मैं. शायद इतनी बड़ी सेना पियासी एकत्रित कारखेलों कर पाऊं. लेकिन तुम्हारे लिए डायोजिनीस बनना सरल है. अपने कपड़ों को शरीर से अलग करो और आराम करो. "

सिकंदर ने कहा -. "आप जो बात कह रहे हैं वह मुझे तो अपील कर रही है परंतु मेरी आशा को नहीं आशा उसे प्राप्त करने का भ्रम है, जो आज मेरे पास नहीं मैं जरूर वापस आऊंगा लेकिन मुझे अभी जाना होगा क्योंकि मेरी यात्रा अभी पूरी नहीं हुयी है लेकिन. आप जो कह रहे हैं वह सौ फीसदी सच है. "




सभी सामग्री इंटरनेट से ली गई है

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