सोमवार, 11 जून 2012

वकील और दादी माँ


वकीलों को दादी माँ से ऐसे प्रश्न करने ही नहीं चाहिए थे जिनके उत्तर वे सुन न सकें। एक छोटे शहर की अदालत में अभियोजन पक्ष के वकील ने अपने पहले गवाह के रूप में एक बुजुर्ग दादी माँ को कटघरे में बुलाया।

उनके पास जाकर वकील ने उनसे पूछा - “श्रीमती जोन्स, क्या आप मुझे जानती हैं? “

दादी ने उत्तर दिया - “हां-हां क्यों नहीं मि. विलियम्स! मैं तुम्हें तब से जानती हूं जब तुम जवान थे। और यदि मैं साफ-साफ कहूं तो तुमने मुझे बहुत निराश किया है। तुम झूठे हो, तुमने अपनी पत्नी को धोखा दिया है, तुम लोगों से झूठ बोलकर उन्हें फुसलाते हो और पीठ पीछे उनकी बुराई करते हो। तुम अपने आप को तीसमार खां समझते हो जबकि तुम्हारे पास इतनी भी अक्ल नहीं है कि अपने आप को समझ सको। हां मैं तुम्हें जानती हूं मि. विलियम्स! “

वकील भौचक्का रह गया! जब उसे कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करे, उसने बचाव पक्ष के वकील की ओर इशारा करते हुए पूछा - “श्रीमती जोन्स, क्या आप बचाव पक्ष के वकील को जानती हैं? “

दादी ने फिर उत्तर दिया - “क्यों नहीं, जरूर जानती हूं! मैं मि. ब्रैडले को उनकी जवानी के समय से जानती हू। वे आलसी, कट्टर और शराबी हैं। वे किसी से भी सामान्य संबंध नहीं रख सकते और उनकी वकालत पूरे राज्य में सबसे खराब है। यह कहने की बात नहीं है कि उन्होंने अपनी पत्नी को धोखा दिया है और उसके तीन महिलाओं के साथ संबंध रहे हैं जिसमें से एक तुम्हारी पत्नी है। हां मैं उसे जानती हूं! “

बचाव पक्ष का वकील सन्न रह गया।

यह सुनकर जज महोदय ने दोनों वकीलों को अपने नजदीक बुलाया और धीरे से कहा - “खबरदार जो तुम लोगों ने उस महिला से मेरे बारे में पूछा। मैं तुम दोनों को हवालात भेज दूंगा। “

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