मंगलवार, 12 जून 2012

एहसान फरामोश आम आदमी



            आम आदमी

बेशर्म आम आदमी,
हर समय शिकायत करता है, 
सरकार ने यह नहीं किया,
सरकार ने वह नहीं किया,
बेबकूफ यह भी नहीं जानता,
सरकार आम आदमी से बनती है,
आम आदमी से चलती नहीं,
सरकार बनाने की कीमत दी थी तुझे,
दारू, मुर्गा, कम्बल और ढेर आश्वासन,
साला सब भूल गया,
एहसान फरामोश कहीं का,
कितनी दरियादिल है सरकार,
हर पांच साल बाद आती है,
और बांटती है दारू, मुर्गा, कम्बल,
पुराने और नए-नए आश्वासन, 
पर बेशर्म आम आदमी,
करता रहता है हर समय शिकायत. 

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